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मंगलवार, 17 जनवरी 2017

550...जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया


जय मां हाटेशवरी...
हिंदी सिनेमा के बेहतरीन गीतकार और स्क्रिप्ट राइटर  जावेद अख्तर  का जन्म आज के दिन ही यानी  17 जनवरी, 1945 को उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के खैराबाद कस्बे में हुआ था. उन्होंने बॉलीवुड में करियर की शुरुआत बतौर डायलॉग
राइटर की थी, लेकिन बाद वह  स्क्रिप्ट राइटर और लिरिसिस्ट  बने. जावेद अख्तर ने सलीम खान के साथ मिलकर बॉलीवुड को बेहतरीन फिल्में दीं. इनमें जंजीर, त्रिशुल, दोस्ताना, सागर, काला पत्थर, मशाल, मेरी जंग और मि. इंडिया,
दीवार, शोले जैसी फिल्में शामिल हैं.
आज की चर्चा का आरंभ...
इनकी ही लिखी एक गजल से...
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया
उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया
सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया
ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया



 तुम भी न बस कमाल हो...

न सोचते
न विचारते
सीधे-सीधे कह देते
जो भी मन में आए
चाहे प्रेम
या गुस्सा
और नाराज़ भी तो बिना बात ही होते हो


वाईकॉम का महादेव मंदि‍र और दीपमाला-

हम मंदि‍र के अंदर वाले भाग में घुसे। वहां दोनों तरफ गणेश और कृष्‍ण्‍ा के छोटे-छोटे मंदि‍र थे। मंदि‍र के चारों ओर लोहे की कड़ी में लटकने वाले दि‍ए लगे थे,
जो प्रज्‍जवलि‍त थे। बस, अद्भुत.... एक परि‍क्रमा कर हम बाहर आए तब ते मुख्‍य द्वार पर भक्‍तों की भीड़ लग चुकी थी। पट खुल चुके थे। ताजे फूलों का श्रृंगार
कि‍ए माता की मूर्ति दि‍खी। मां नींबूू  की माला भी पहने हुई थी। हम श्रद्धा से सर झुुकाकर मां को प्रणाम कर नि‍कल गए। ऐसा लग रहा था जैसे दीपपर्व मनाया जा
रहा हो।

छाया

तू चाहे या ना चाहे
साथ नहीं छोडूंगी
तू दीपक मैं बाती
तुझसे ही
 बंधी रहूंगी |

मत पढ़ो मेरी नज़्म ...-

ज़ुल्म के तंदूर में भुनी  
चिपक न जाएं कहीं आत्मा पर
जाग न जाए कहीं ज़मीर
मत पढ़ो की मेरी नज़्म
आवारा है पूनम की लहरों सी 
बेशर्म सावन के बादल सी
जंगली खयालों में पनपी
सभ्यता से परे
उतार न दे कहीं झूठे आवरण

ग़मों की सरपरस्ती में...-

न जाने किस भरोसे पर मुझे माँझी कहा उसने
कई सूराख़ पहले से हैं इस जीवन की कश्ती में
हमारी देह का रावन तुम्हारी नेह की सीता
'लिविंग' में साथ रहते हैं नई दिल्ली की बस्ती में


तुलसी प्रकृति का एक अदभुत उपहार है

तुलसी तपेदिक, मलेरिया व प्लेग के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता तुलसी में विद्यमान है शरीर की रक्त शुद्धि, विभिन्न प्रकार के विषों की शामक, अग्निदीपक
आदि गुणों से परिपूर्ण है यह कुष्ठ रोग का शमन करती है इसको छू कर आने वाली वायु स्वच्छता दायक एवं स्वास्थ्य कारक होती है ये  घरों में हरे और काले पत्तों
वाली तुलसी पाई जाती है तथा दोनों का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है एक वर्ष तक निरंतर इसका सेवन करने से शरीर के सभी प्रकार के रोग दूर हो सकते हैं

कुछ ख़ामोशियां हैं

कुछ उदासियाँ हैं
तुम्हारे नाम कीं
जो आज इन पलकों
पर बिखरी पड़ीं हैं ........

लागा चुनरी में दाग

राष्ट्र-प्रतिष्ठा का सवाल था.
एक बीरबल आगे आया,
प्रभू-कान में कुछ बतलाया,
प्रभु मुस्काए, शाबाशी दी,
फिर वो गरजे -
‘बैर, फूट का साबुन लाओ
इस कलंक को अभी मिटाओ’
और दाग वह तुरत मिट गया,
तस्वीरों से कोई हट गया,
कोई आ गया.
  

आज बस इतना ही...
फिर मिलेंगे...
धन्यवाद।






















7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बहुत ही बढ़िया
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
    उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ... सुंदर लिंक्स है सभी ... आभार मुझे शामिल करने का

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी लिक्स अच्छे थे............ आभार
    http://savanxxx.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया। जावेद अख्तर जी को जन्मदिन की बधाई। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं

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