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सोमवार, 29 अगस्त 2016

409..ले भी लीजिये हजूर छुट्टी के दिन ऐसा ही बेचा जायेगा

सादर अभिवादन..
दो दिन के बाद
उत्सवों का सिलसिला जारी हो जाएगा
तीजोत्सव फिर गणेशोत्सव के दस दिन
तदोपरान्त पितृोत्सव
चलिए..उत्सव तो आते-जाते रहेंगे
हम भी साथ-साथ ही चलें इनके........


जो बात है हद से बढ़ गई है
वाएज़ के भी कितनी चढ़ गई है
हम तो ये ही कहेंगे तेरी शोख़ी
दबने से पहले कुछ और बढ़ गई है


आजकल पता नही क्यों?
गुलाब खूबसूरत तो बहुत होते हैं
मगर उनमें खुश्बू नही होती
लगता है इनको भी शहरों की
लत लग गई है ।



विश्वभ्रमण,धन खूब मिलेगा, पूँछ उठाये घूमेंगे ,
देशभक्ति का बोर्ड लगाए रहते हैं, उल्लू के पट्ठे !


काफी दिनों से खुद
को टटोल रही हूँ ,
ढूंढ रहीं हूँ वो शब्द 
जिसे अपने 
एहसासो मे 
पिरो कर 
कविता बना सकूँ ,


तो अपनेआप पर काबू रखें!.....ज्योति देहलीवाल
बेटी की बात एक पल को तो ख़राब लगी, पर मुझे अपनी ग़लती का एहसास भी हुआ। सच में, कभी-कभी बच्चे भी अनजाने में हमें बहुत बड़ी सीख दे देते है। तब से मैने यह मंत्र अपना लिया है कि यदि किसी बात को सम्भालना या ठीक करना हमारे बस में नहीं है, तो कम से कम हमें ख़ुद पर काबू रखना चाहिए,
ताकि स्थिती न बिगड़े।



आज खामोश है सब कुछ जहाँ मे......अनुपम चौबे
आज खामोश है सबकुछ जहान में ,
एक भँवर सा उठ रहा है मेरे ईमान में
कभी तोहफे में मिली थी आजादी हमें ,
क्या भूल गए हम खुदगर्जी के तूफ़ान में .




ठीक एक साल पहले
ले लीजिये साहब ...सुशील कुमार जोशी
दिखने दिखाने में
कुछ नहीं रखा है
बहुत काम का है
बहुत काम आयेगा
आगे काम ही
काम दिखेगा
बचा कुछ भी
नहीं रह जायेगा
रख ही लीजिये
हजूर देखा जायेगा ।

आज मैं भी अतिक्रमण कर बैठी
नहीं गर मांगी इज़ाज़त तो
गबज हो जाएगा
(मेरा चीकू गज़ब को गबज ही कहता है)

6 टिप्‍पणियां:

  1. "पाँच लिंको का आनन्द" मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार .

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर हलचल । आभार 'उलूक' के कुछ भी को जगह दी आपने यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. यशोदा जी, मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. yashoda behen "पाँच लिंको का आनन्द" मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार .

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर नयी-पुरानी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. जखीरा को यहाँ स्थान देने हेतु आभार |

    जवाब देंहटाएं

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