निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 23 जुलाई 2016

372 .... बुजुर्गों का ख्याल रखना




यथायोग्य
प्रणामाशीष

फिर हाजिर हूँ
ब्लॉग के दूसरे साल में पहले पोस्ट के साथ



बार-बार टूटकर जुड़ना अब नहीं होता,
तेरे शहर में मेरा अकसर अब ठहरना नहीं होता,
फिर कब होगी दीदार तेरे चाँद से चहेरे की,
इक यही बात पर अब ऱोज-ऱोज मिलना नहीं होता





मुझे भी आने लगी है
अपने पसीने की सुगंध
चाहे मैं पढ़ी लिखी हूँ या अनपढ़
शान से अपना गुजरा कर लुंगी
नहीं फैलाउंगी 
अपना हाथ किसी के आगे





आपसी रंजिश, वाद- विवाद, सहमति- असहमति जैसे तमाम पहलू हैं 
जो इस संवेदनहीन समाज में हत्या के लिए काफी हैं 
लेकिन जब मौत सिर्फ इसलिए कर दी जाए कि लड़की ने परंपरा को नकारते हुए 
अपना अंग प्रदर्शन किया है तो समझ लीजिए, 
हर दिन आपका समाज और आप गर्त में जा रहे हैं।




अलीगढ़ आंदोलन किसने चलाया— सर सैय्यद अहमद खाँ
● अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नींव किसने डाली— सर सैय्यद अहमद खाँ
● ‘युवा बंगाल’ आंदोलन के नेता कौन थे— हेनरी विवियन डेरोजियो
● ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना किसने थी— ज्योतिबा फूले
● किस धर्म सुधारक की मृत्यु भारत से बाहर हुई— राजा राममोहन राय
● वहाबी आंदोलन का मुख्य केंद्र कहाँ था— पटना






अहंकार,क्रोध,द्वेष,ईर्ष्या,लोभ और मोह हमें शक्तिहीन बनाते हैं। 
खासकर क्रोध से शक्ति बहुत जल्दी क्षीण हो जाती है। 
शक्ति मुद्रा ऐसी स्थिति में बहुत कारगर है। 
जो अत्यधिक शारीरिक श्रम के कारण थक जाते हैं,
उन्हें भी इस मुद्रा से काफी लाभ होगा।





तो कुछ तो ऐसा होना चाहिए जिससे समाज को अपनी उम्र दे चुके, 
हमारी आबादी के करीब  8-9 प्रतिशत के इस वर्ग को जीवन के 
इस पड़ाव पर असुरक्षा महसूस न हो। चौबीसों घंटे उन्हें यह डर ना बना रहे
 कि हमारे साथ कुछ अघटित हो जाता है तो हम क्या करेंगे ! 
आज कुत्ते-बिल्लियों तक के लिए कानून बने हुए हैं 
पर मानव ही सबसे ज्यादा उपेक्षित है।





हर किसी का धर्म है उसके लिए खास,
हर धर्म का अलग पर्व है।
धार्मिक है वह जो अपने धर्म को,
देते हैं प्राथमिक दर्जा।
वह नहीं है धार्मिक जो दूसरे धर्मों को,
दिखाता है गलत रास्ता।


फिर मिलेंगे ..... तब तक के लिए

आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव





6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    सादर नमन
    हर किसी का धर्म है उसके लिए खास,
    हर धर्म का अलग पर्व है।
    धार्मिक है वह जो अपने धर्म को,
    देते हैं प्राथमिक दर्जा।
    वह नहीं है धार्मिक जो दूसरे धर्मों को,
    दिखाता है गलत रास्ता।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात...
    बार-बार परिस्थितियां बन जाती है बिखराव की...
    पर फिर सब इकठा हो जाते हैं...
    आप की प्रस्तुति को पढ़कर विशेषानंद आता है... सादर नमन...

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति !
    शुभकामनाएँ विभा जी !

    - मीनाक्षी श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुति !
    शुभकामनाएँ विभा जी !

    - मीनाक्षी श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...