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सोमवार, 20 जून 2016

339..साया बन कर साथ चले थे ,साथ हमारे आज भी हो।

सादर अभिवादन,,
एक गीत याद आ रहा है
बोल है....
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
शायद अंत में इसका लिंक भी रख दूँ
सभी के पग लड़खड़ा रहे हैं...
26 और कदम बाकी है...
हमारे श्रीमान जी कहते हैे..कर सको कुछ अच्छा
तो कर डालो...नहीं तो..जैसा चल रहा है
चलने दो..हम जब तक जिएँगे..तब तक प्रस्तुतियाँ बनाएँगें

चलिए चलें आज की पढ़ी रचनाओं की ओर...

सुनाती राग जीवन का तेरी पायल तेरी चूड़ी ,
कराती प्रीत का एहसास तेरी पायल तेरी चूड़ी ,
कहे बंधन जग इनको ये बड़ी भूल है उनकी, 
मेरी धड़कन में बसती  है तेरी पायल तेरी चूड़ी ।


विभा दीदी...
कड़क छवि ...... 
अनुशासन .... 
कायदे कानून ..... 
केयरिंग ..... 
हम छोटे भाई बहन को ..... 
बड़े भैया में देखने को मिले ..... 
यानि पिता का जो रोल 
हम सुनते पढ़ते आये 
वो रोल तो बड़े भैया निभाये .....
हमारे पिता (मेरे पिता + मेरे पति के पिता) बेहद सरल इंसा थे


हुज़ूर के चैंबर से इन्कलाब दहकने आया
गुलाब की क्यारियों में इत्र महकने आया

न था वक्त, मिला भी तो तुम न मिले –
कुछ यादों के लिफ़ाफ़े थे, पटकने आया !



डॉ. जेन्नी शबनम....
गहरा नाता  
मन-आँखों ने जोड़ा  
जाने दूजे की भाषा,  
मन जो सोचे -  
अँखियों में झलके  
कहे संपूर्ण गाथा !

मैं, उम्रभर
तुम्हारे उन अव्यक्त 
और अस्पष्टाक्षर शब्दों
के अर्थ तलाशने को ,
शब्द-मीमांसाओं के अंतर-जाल
भेदता रहा .....


तपती धूप में राहत देता रहा
बचपन झुलाता रहा गोद में
कभी दौडकर चढ़ते 
कभी पत्ते तोड़ते
कभी पकड़ कर मुझे झूलते तुम
तुम अकेले कब होते थे
पूरी चौकड़ी थी


डॉ. विकास बाबा आमटे
नीबू के छिलके में ५ से १० गुना अधिक विटामिन सी होता है
और वही हम फेंक देते हैं। नींबू के छिलके में शरीर कॆ
सभी विषैले द्रव्यों को बाहर निकालने कि क्षमता होती है।
नीबू का छिलका कैंसर का नाश करता है इसका छिलका कीमोथेरेपी से 10,000 गुना अधिक प्रभावी है





शीर्षक कथा

बहुत याद आते हो तुम रोने को जब दिल करता  है ,
पापा ऐसा क्यों लगता है ,साथ हमारे आज भी हो। 

अपनी छाया में रखते थे ,अलग कभी भी नहीं किया ,
साया बन कर साथ चले थे ,साथ हमारे आज भी हो।


चलते-चलते पता ही नहीं चला
पर अब कुछ नहीं हो सकता
सूचनाएँ जा चुकी है,,
आज्ञा दें...यशोदा को

रुक जाना नहीं...



































7 टिप्‍पणियां:

  1. चलना जारी रहे । शुभकामनाएं । सुन्दर सोमवारीय अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. वापस बहुत दिनों बाद हुई हूँ , लेकिन हलचल को उसी तरह सब पर नजर रखते हुए पाया बहुत खुशी हुई । बढ़िया प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर लिंक संयोजन :) मेरी रचनाओ को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार :)

    जवाब देंहटाएं

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