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बुधवार, 1 जून 2016

320....इक गुनाह माफ़ करती हूँ , आह भरके !

सदा की तरह आज भी उपस्थित है यशोदा...
सादर अभिवादन स्वीकार करें

आज की पढ़ी रचनाओ में से....


एक लड़की थी रात को ऑफिस से वापस लौट रही थी
देर भी हो गई थी... कुछ डरी सी कुछ सहमी सी....
पहली बार ऐसा हुआ काम भी ज्यादा था 
और टाईम का पता ही नहीं चला वो सीधे ऑटो स्टैण्ड पहुँची


आज इस दिल को मचलने की सज़ा मत देना...
देखना प्यार से लहज़ों को अदा मत देना...!
जब भी मिलना हो तो कर देना इशारा मुझको...
देखना दूर से मुझको तो सदा मत देना ...!
आग बारिश की ये बूंदें जो लगा जाती हैं...


"क्या हुआ जयंती ? आज बड़े उदास हो ? " 
"हाँ , वो शशांक की माँ से जब से मिलकर आया हूँ मन बहुत खराब है ." 
"क्यों, क्या हुआ उन्हें?" 
"क्या कहें अब ऐसी औलाद को जिसे आज माँ ही बुरी लगने लगी . कल तक तो आगे पीछे डोलते थे लेकिन जिस दिन से बेचारी ने बेटों को मुख्तियार बना दिया मानो अपने हाथ ही काट लिए


किये ही दे रही है, मेरे घर को आग खा़क,
कब तक करें भरोसा, परवरदिगार का।

दिवाली के हर दिये में, उदासी की झलक है,
खत्म हो रहा है वक्त, उनके इंतज़ार का।

ऋता शेखर मधु....लघुकथा 
''उत्कर्ष, उठो बेटा| एयरपोर्ट पर कम से कम एक घंटा पहले पहुँचना होता है| यहाँ से वहाँ जाने में ही एक घंटा लगता है| हमें तीन घंटा पहले निकलना चाहिेए| रास्ते में कोई भी अड़चन आ सकती है|''



महेश कुशवंश.....  
उम्र के दिलकश नज़ारे साथ थे
जीने के अद्भुत सहारे साथ थे
बोलता था हृदय अबोला जो रहा
एहसास के स्नेहिल किनारे साथ थे

आज की शीर्षक कड़ी..

डॉ. प्रतिभा स्वाति.....
मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है !
जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है !

आज्ञा दें हंसते-हंसते
यशोदा,,
लोगों का सारा दिन मनहूसियत में बीतता है
रो तो लेते हैं मनहूसियत के चलते
ऐसा करते हैं अभी और आज
खुल कर हंस लेते हैं
देखिए क्लोज सर्किट कैमरे की पकड़
और हंसिए पेट पकड़







8 टिप्‍पणियां:

  1. फिर से वेहतरीन संकलन। कई प्रकार की ह्रदयस्पर्शी रचनाऐं मन को उद्वेलित कर गई। मेरी रचना को स्थान देने के लिए यशोदा जी का सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    मेरे दिल का टुकड़ा ही , मुझको छलता है !
    जैसे कोई मौसम है , जो रोज़ बदलता है !
    सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात....
    हमेशा की तरह खूबसूरत रचना संकलन...
    आभार आदरणीय दीदी आप का।

    जवाब देंहटाएं
  4. मनोबल बढ़ाने के लिए , तहेदिल से शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. सदा की तरह
    सदा के आगमन की प्रतीक्षा
    लगातार...
    दीदी को नमन
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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