निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 9 मार्च 2016

236....बहुत सहन कर चुकी अब मत बांधो मुझे

नमस्कार दोस्तो 
जय आशापुरा मात की
प्रस्तुत है आज की लिंक 

कहने को महिला दिवस, मना रहे सब आज।
मगर नारियों की यहाँ, रोज लुट रही लाज।१। 

कुछ महिलाएँ हैं अभी, दुनिया से अनजान।
घर के बाहर है नहीं, जिनकी कुछ पहचान।२।

परिणय के पश्चात ही, मिल जाता उपनाम।
ढोना इस उपनाम को, अब तो उम्र तमाम।३।



आकांक्षा पर ....आशा सक्सेना
अतुलनीय गुणों की धनी
 हर दिन उसका   है 
सब कुछ अधूरा जिसके बिना 
फिर औपचारिकता क्यूं ?
हो एक दिवस उसके नाम 
हुआ आवश्यक क्यूं ?
हर प्;ल रहती इर्दगिर्द
चाहे जो भी रूप धरे
माँ बहन बेटी होती
पत्नीकभी तो कभी प्रेयसी
सभी रूप होते आवश्यक 


रेखा जोशी
यूँही सदियों से
चल रही पीछे पीछे
बन परछाई तेरी
अर्धांगिनी हूँ मै तुम्हारी
पर क्या
समझा है तुमने
बन पाई मै कभी
आधा हिस्सा तुम्हारा
बहुत सहन कर चुकी
अब मत बांधो मुझे
मत करो मजबूर
इतना कि तोड़ दूँ
सब बंधन


सबसे कम उम्र की ब्लॉगर : अक्षिता (पाखी) की चर्चा 'अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस' पर राजस्थान पत्रिका में 'मिलिए ब्लॉगिंग क्वीन्स से' के तहत..साथ में अक्षिता की मम्मी की भी चर्चा- "ब्लॉगिंग को दे रहीं नए मुकाम


ज्ञान दर्पण पर......रतन सिंह जी
हाल बता बुन्देल धरा तेरे उन वीर सपूतों का। 
केशरिया कर निकल पड़े थे मान बचाने माता का।

Raja Jhujhar Singh Bundela जुझारसिंह बुन्देला ओरछा के राजा थे। अपने पिता वीरसिंह बुन्देला की मृत्यु के बाद ओरछा के राजा बने| ये गहरवाल वंश के थे| जुझारसिंह शासन का भार अपने पुत्र विक्रमाजीत को सौंप कर स्वयं शाहजहाँ की सेवा में आगरा चले आये। शाही दरबार में उसका मनसब चार हजार जात और चार हजार सवार का था। जुझार सिंह बुन्देला एक शक्तिशाली शासक थे। विक्रमाजीत ने वि.सं. १६८६ (ई.सन १६२९) में विद्रोह कर दिया। जुझारसिंह भी अपने पुत्र के पास चले गए। वहाँ अपने आप को स्वतन्त्र शासक घोषित कर दिया। शाहजहाँ ने विद्रोह को कुचलने के लिए एक विशाल शाही सेना भेजी।

और अब दिजिए
विरम सिंह सुरावा को आज्ञा 
धन्यवाद

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात...
    भाई विराम सिंह जी सर्वप्रथम आभार आप का...
    आप इतनी लगन से प्रस्तुति बना रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया सामयिक हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. आनंद देती लिंक्स |
    शानदार प्रयास समसामयिक विषयों पर
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...