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मंगलवार, 8 मार्च 2016

235...तुमने नहीं देखी हर औरत के पाँवो में बंधी होती है इक सुंदर सी ज़ंज़ीर"


जय मां हाटेशवरी...


विश्व महिला दिवस पर विश्व भर की सभी सम्मानित महिलाओं को मेरा शत शत नमन वंदन अभिनंदन प्रणाम...
 पांच लिंकों का आनंद की ओर से भी....
 विश्व महिला दिवस की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.... 

"अपने साथ लेकर चलती है,
समझौतों के कई जोड़ से गूँथी हुई
ख़ामोशी दर ख़ामोशी, मज़बूत होती हुई
कभी चाँदी की, कभी सोने की
कभी “इस घर" की, कभी “उस घर” की
तुमने नहीं देखी
हर औरत के पाँवो में बंधी होती है
इक सुंदर सी ज़ंज़ीर"- डॉ॰ अनुराग आर्या


महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
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ब्रह्मा जी ने इसके लिए झूठ का सहारा लेने की कोशिश की. उनकी इस हरकत से भगवान शिव क्रोधित हो गये और उन्होंने ब्रह्मा जी का पाँचवां सिर काट दिया. भगवान शिव
के क्रोध को शांत करना कठिन कार्य था. इस पर विष्णु जी ने शिवजी का पूजन तथा उनकी आराधना की. बहुत दिन तक आराधना करने पर भगवान शिव विष्णु जी से प्रसन्न हुए.
ज दिन शिव प्रसन्न हुए उस दिन को महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाने लगा.


व्यक्तित्व एवं राष्ट्र निर्माण पर विवेकानंद के कालजयी विचार
 शिकागो की धर्म संसद में उनके द्वारा दिए गए संभाषण से ज्ञात होता है जब उन्होंने कहा था "मैं एक
ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की शिक्षा दी है... मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति
होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीडि़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है" और फिर इतिहास में जाते हुए कहा "मुझे आपको यह
बतलाते हुए गर्व होता है कि हमने अपने वक्ष में यहूदियों के विशुद्धतम अविशिष्ट अंग को स्थान दिया जिन्होंने दक्षिण भारत आकर इसी वर्ष शरण ली थी, जिस वर्ष उसका
पवित्र मंदिर रोमन जाति के अत्याचार से धूल में मिल गया था । ऐसे धर्म का अनुयायी होने में मैं गर्व अनुभव करता हूं, जिसने महान जरथुष्ट जाति के अवशिष्ट अंश
को शरण दी और जिसका पालन वह अब तक कर रहा है।
वर्तमान पीढ़ी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। जीवनशैली, नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों में बदलाव आ रहा है। आज की युवा पीढ़ी विकास एवं आर्थिक उन्नयन के बोझ तले
इतनी अधिक दब गई है कि वह अपने पारम्परिक आधारभूत उच्च आदर्शों से समझौता तक करने में हिचक नहीं रही है। आज के युवाओं के पास उत्तराधिकार के रूप में स्वामी
विवेकानंद के विचारों की धरोहर है जिसके अनुपालन से वह भारत में ही नहीं वरन विश्व में सफलता के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने एक
बार आह्वान किया था, "जागो, उठो और मंजिल तक पहुंचने से पहले मत रुको", हम सभी एकजुट हों और शुद्धता, धैर्य और दृढ़ता के साथ देश के लिए काम kकरें...

दिल की बातें क्या कहूँ नहीं बढ़ाई हाथ........शंकर मुनि राय "गड़बड़"
कितने गये बसंत पर गई न मन की हूक।
प्यारे सुनता ही रहा कोयलवाली कूक॥
मौसम "गड़बड़" हो गया यारो उसके साथ।
दिल की बातें क्या कहूँ नहीं बढ़ाई हाथ॥


अंकों में सिमटी ज़िंदगी
उम्मीदों और आशाओं का भार होता है। तब आप खुद को मजबूत नहीं बल्कि कमजोर महसूस करने लगते हो। आपके मन में उनकी उम्मीदों पर खरा न उतर पाने का डर घर कर लेता
है। जिसे आप न दिखा सकते हो न छिपा सकते हो। कोई माने या माने किन्तु सत्य यही है। हर विद्यार्थी की ज़िंदगी ऐसी ही होती है। परिणाम अच्छे आ जाते है तो आगे बढ्ने
की प्रेरणा का संचार हो जाता है और जिनके परिणाम किसी भी कारण वश अच्छे नहीं आ पाते वह ज़िंदगी से हार जाते है।


बाजारवाद ही सही....
असल में आज यहाँ मदर्स डे है. सुबह सुपर स्टोर गई तो वहां की रौनक देखने लायक थी. फूलों की बहार आई हुई थी. रंग विरंगे गिफ्ट पैकेटस और चॉकलेट्स से काउंटर सजे
हुए थे. और सबसे प्यारी बात की खरीदारों में ९०% पुरुष दिखाई दे रहे थे.
मेरी नजर एक पिता - पुत्र पर टिक गई. फूलों के काउंटर के आगे एक ट्रॉली पर करीब २ साल का एक बच्चा बैठा हुआ था और उसका पिता वहां से कुछ फूल चुन रहा था. २-३
फूलों के गुच्छे लेकर उसने उस बच्चे से पूछा - विच वन यू लाइक दी मोस्ट ? बच्चा कुछ खोया सा उसे देखने लगा. उसे समझ में नहीं आया कि क्या और क्यों उससे पूछा
जा रहा है. पिता ने फिर पूछा - विच वन यू लाइक फॉर मॉम ? अब बच्चे ने तपाक से बड़ी अदा से, एक पर हाथ रख कर कहा. दिस वन. और पिता ने वह गुच्छा खरीद लिया। मेरी
आँखें वहीँ, जहाँ उस माँ के रिएक्शन की कल्पना करके छलकने को हो आईं वहीं उन पिता - पुत्र को देखकर असीम आनंद का एहसास हुआ.



मिजाज़पुर्सी
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“पिछले सोमवार को माँ शाम को मंदिर से लौट रही थीं तभी तेज़ रफ़्तार से आती बाइक से वो टकरा कर गिर गयीं ! उनकी कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया ! सिर में
भी गहरी चोट है ! अभी तक तो उन्हें ठीक से होश भी नहीं आया है ! पता नहीं कितने दिन और अस्पताल में रहना होगा ! बहुत मँहगा इलाज चल रहा है ! रोज़ दो हज़ार रुपयों
के इंजेक्शंस लग रहे हैं ! समझ नहीं आ रहा है कि कैसे इन्तज़ाम होगा !’’ सहानुभूति की अपेक्षा में मैं सरिता की ओर मुड़ी ही थी एक ज़ोरदार ठहाके की आवाज़ सुनाई
दी ! “अरे वाह ! सुन तो सही कितना मज़ेदार जोक है !’’ सरिता लोटपोट हुई जा रही थी और मैं हतप्रभ सी उसे देखे जा रही थी !

अंत में हर घर की...
सास,  व ननंद....
से मेरा निवेदन....
अपने घरों की  बेटियों की गर्व में ही   हत्या न होने दे...
  परिवार में दहेज की मांग   का खुल कर  विरोध करे...
 बहु को अपनी बेटी की तरह प्यार दे...
अगर नारी नारी का शोषण न होने दे तो....
कोई भी नारी का शोषण नहीं कर सकता...


धन्यवाद।





       

6 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तो भूल ही गई थी कि
    आज विश्व महिला दिवस है
    शुक्रया भाई कुलदीप
    याद दिला दिया आपने
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. विश्व महिला दिवस पर शुभकामनाएं । सुंदर प्र्स्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. विश्व महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें ! आज की चुनिन्दा लिंक्स में मेरी अभिव्यक्ति को स्थान देने के लिये आपका हृदय से आभार कुलदीप जी ! धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सामयिक हलचल प्रस्तुति ..
    दिवस विशेष की शुभकामनाओं सहित

    जवाब देंहटाएं
  5. महिला दिवस पर सभी महिलाओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं

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