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सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

220....विश्वविद्यालय मुझे आकर्षित करते हैं क्योंकि

सुप्रभात
 पिछले कुछ समय से परीक्षा होने के कारण
बहुत व्यस्त था । अब परीक्षा भी हो गई और अच्छी भी गई ।
आज का सुविचार
   
आप अपनी पहली जीत के बाद आराम नही करे क्योंकि यदि आप दूसरे काम मे असफल हो जाते है तो कई लोग यह कहने का इंतजार कर रहे है कि आपकी पहली जीत आपका luck था ।
                                        A.P.J.KALAM
        
और अब प्रस्तुत है आज की आनंद की पांच लिंक

       
     जिन्दगी पर .........वंदना गुप्ता

मैं नहीं चढ़ाती अब किसी भी दरगाह पर चादर 
फिर चाहे उसमे किसी फ़क़ीर का अस्तित्व हो 
या आरक्षण का या अफज़ल की फांसी के विरोध का 
या फिर हो उसमे रोहित वेमुला 
या उस जैसे और सब 
जिनके नाम पर होती हैं अब मेरे देश में क्रांतियाँ 

    आहुती पर ........ सुषमा वर्मा
 
मेरी पंक्तियों को पढ़ कर,
जितना आसान था...
तुम्हारे लिये खामोश होना,
उतना ही मुश्किल था...
मेरे लिये, तुम्हे लिखना....
जितना आसान था..
तुम्हारा मुझे देख कर भी,
नजरअंदाज करना,
उतना ही मुश्किल था,
मेरे लिये तुम्हारे अंदाज़ लिखना... 
जितना आसान था...


   साहित्य प्रेमी संघ पर ...मदन मोहन

मैंने पूछा वकीलों से ,पहने काला कोट  क्यों ,
         मुवक्किल की काली करतूतें छिपाने वास्ते 
उल्टा सीधा पेंच कानूनी ,लगाकर हमेशा ,
          निकाला करते हो उसको  बचाने के रास्ते 
तुमसे अच्छे डॉक्टर है ,श्वेत जिनके कोट है,
          मरीजों की करते सेवा,ठीक करते  रोग है 
ऑपरेशन ,काटापीटी ,तन  की करते है मगर ,
          मर्ज को वो हटाते है ,कितने अच्छे लोग है 


स्पंदन पर .......shikha varshney


विश्वविद्यालय मुझे आकर्षित करते हैं -

क्योंकि- विश्वविद्यालय  WWF  अखाड़ा नहीं, ज्ञान का समुन्दर होता है. जहाँ डुबकी लगाकर एक इंसान, समझदार, सभ्य और लायक नागरिक बनकर निकलता है. 

क्योंकि- शिक्षा आपके व्यक्तित्व को निखारती है, आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों का बोध कराती है. वह खुद को सही तरीके से अभिव्यक्त करना सिखाती है. 


         रचनाकार पर ...... कामीनी जी
“और क्या ?एक ही फोन में दौड़ी चली  आई  । बस झोला में कुछ समान और छोटकी को साथ लेकर नथनी साहू कार्पेंटर  के साथ आ गई  । उसको देखकर जैसे कलेजा फट गया इसका  ,रुलाई रुक नहीं रही थी ।कैसा हो गया था । पैर पर पलस्तर ,देह पर मैल चिक्कट, दाढ़ी बड़ी  बड़ी , गंदे बिखरे बिखरे बाल सुख कर बदन कांटा ।जल्दी जल्दी उसका कपड़ा उतरवा कर रात में ही धो कर सूखने डाल दिया ।साबुन से उसके हाथ पाँव धोए ,। कोठरी में चारों तरफ नजर दौड़ाई ।

     अब दिजिए आज्ञा
           और पढिये अब्दुल कलाम
     का यह सुविचार
जब हमारे सिग्नेचर (हस्ताक्षर), ऑटोग्राफ में बदल जाए तो यह सफलता की निशानी है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..
    विरम भाई
    शुभ प्रभात
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात...
    भाई विराम जी....
    आप इतनी लगन से कार्य करते हैं...
    आप के लिये कोई भी परीक्षा पास करना कठिन नहीं हैं...
    आप सफल हों...
    आभार।

    जवाब देंहटाएं

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