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मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

164........मेरा ईमान न पूछो क्या हूँ

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इंटरनेट पर युद्ध की शुरुआत हो चुकी है । 
कार्पोरेट वार। अपने अपने फायदे के लिए । 
मजे की बात है कि विरोध की खबर के नीचे 
समर्थन पाने का विज्ञापन भी छपा है । 



मेरा ईमान न पूछो क्या हूँ, 
हिन्दू या कि मुस्सलमान न पूछो। 
चर्च, मंदर, मस्जिदें ....सब एक बराबर 
रहता किसमे है मिरा भगवान न पूछो. 


यह जमाने की बेरूखी और हम।
कितना भी प्रेम कर लो हर किसी से।
लेकिन हर बार सिर्फ मिलते है…
गम ही गम॥


दिसंबर का आखिरी सप्ताह ......
बरसात के बाद हवाओं के रुख में 
परिवर्तन से ठण्ढक के साथ 
घना कुहरा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा था । 


जिन की भाषा में विष था
उनके भीतर कितना दुःख था
दुखों के पीछे अपेक्षाएँ थीं
अपेक्षाओं में दौड़ थी
दौड़ने में थकान थी
थकान से हताशा थी
हताशा में भाषा थी

हमारा भारत विज्ञान में सबसे आगे था
अाज की अंतिम कड़ी में देखिए


अब छोड़ो भी में
हाल ही में मेरठ के छात्र प्रियांक भारती और गरिमा त्यागी द्वारा तैयार एक शोधपत्र को चीन के अंतर्राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी सम्मेलन के लिए चुना गया है। और यह शोध अमेरिका की इनोवेटिव जर्नल ऑफ मेडीकल साइंस के आगामी अंक में छपने जा रहा है। 
प्रियांक भारती और गरिमा त्यागी ने अपने प्रयोग में 
रक्तबीज को कपोल कल्पना मानने से इंकार करते हुए बताया है कि रक्तबीज कोई चमत्कार नहीं बल्कि अति विकसित विज्ञान का एक उदाहरण था जो सबसे पहला Clone कहा जाता है। 

आज्ञा दें यशोदा को
फिर तो मिलते रहेंगे ही








6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात...
    ठंड आवश्यक्ता से अधिक...
    इस लिये ब्लौग से थोड़ा दूर...
    सुंदर लिंक चयन है दीदी आप का...
    अंतिम रचना पढ़कर मन आनंदित हुआ...
    आभार आप का...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर लिंक संग्रह ..... आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंक संग्रह ..... आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं

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