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मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

136...जो समाज के लिए मरते हैं वो जिंदा रहते हैं...


जय मां हाटेशवरी...

अन्ना हजारे ने ठीक ही कहा है...
जो  अपने  लिए  जीते  हैं  वो  मर  जाते  हैं...
जो  समाज  के  लिए  मरते  हैं  वो  जिंदा रहते  हैं...

अब पेश है आज की हलचल में...
दीदी जी की अधिक व्यस्तता के चलते...
मेरी पसंद के पांच लिंक...

क्यों
प्रवीण पाण्डेय ,
ईर्ष्या क्यों मूर्त बनकर,
मन-पटल पर उभरती हैं ।।२।।
क्यों अभी निष्काम आशा,
लोभ निर्मित कुण्ड बनती ।
मोह में क्यों बुद्धि निर्मम,
सत्य-पथ से दूर हटती ।।३।।
और अब क्यों काम का,
उन्माद मन को भा रहा है ।
कौन है, क्यों जीवनी को,
राह से भटका रहा है ।।४।।
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यौन दुर्बलता: कारण और निवारण (Sexual weakness: Causes and Prevention) -1
राजेंद्र कुमार
हमें ऐसी समस्यायों से प्रेरित रोज ही मेल प्राप्त होते है। उसमें से अधिकांश युवक यौन विकारों और नपुंसकता दूर करने के उपाय और इलाज के बारे में बताने का आग्रह
करते है, यथासम्भव उनकी समस्याओं का जबाब भी देता हूँ परन्तु सभी को अलग अलग जबाब देना सम्भव नही हो पाता है। इसलिए मैंने इस विषय पर क्रमशः आलेख ही लिखने का
कोशिश कर रहा हूँ। अगले अंक में इन समस्यायों के समाधान के बारे में लिखने की कोशिश रहेगी।
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कश्मीरी हिन्दू जनसंहार एवं विस्थापन-आधुनिक इस्लामिक असहिष्णुता का अमिट हस्ताक्षर
आशुतोष की कलम
* * * s1600/absolute
अब मेरा प्रश्न उन सभी लोगो से हैं जो पुरस्कार लौटना,असहिष्णुता का नाटक कर रहे हैं??क्या इस जनसंहार से  बड़ी असहिष्णुता इस देश में हुई होगी आज तक??और तो
और कुछ हरामी ऐसे भी थे जो इस नरसंहार के समय ही पुरस्कार ले रहे थे तब इन्हें ये देश असहिष्णु नही लगा और आज ये देश को रहने लायक नहीं पा रहे..
दरअसल ये नरेंद्र मोदी और हिंदुओं का विरोध है,क्योंकि अभी मोदी सरकार ने इन लोगो को कश्मीर में अलग टाउनशिप बनाने की बात की तो ये कांग्रेसी, आतंकवादियों के
सुर में सुर मिलाते पाये गए, की अलग से मकान नहीं दिया जायेगा रहना हो तो उन्ही राक्षस मुस्लिम जेहादियों के साथ रहे जिन्होंने इनकी बेटियों का बलात्कार एवं
बच्चों को काट के चैराहे पर लटकाया था..
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लव ब्लॉसम्स हेयर जानां ...........
वन्दना गुप्ता
सदायें बिना पंखों की वो पंछी हैं
जिन्हें उड़ने को न आकाश चाहिए
और न ही धड़कने को दिल
पहुँच ही जाती हैं मंजिल तक
जाने क्यों फिर भी कहने को दिल करता है
मृग की नाभि में कस्तूरी सा
लव ब्लॉसम्स हेयर जानां ...........
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सज़ा
अर्चना तिवारी

मैडम सीमा अपनी अगली कक्षा के लिए निकल ही रही थीं कि साथी अध्‍यापिका ने उन्‍हें एक नोटबुक देते हुए कहा कि ये किसी बच्चे के अभिभावक ने भिजवाई है। नोटबुक देखकर वह सकते में आ गईं। उस पर आयुष का नाम लिखा था। वह नोटबुक लेकर आयुष की कक्षा की ओर भागीं। कक्षा चल रही थी। उन्‍होंने देखा, आयुष आँखों में आँसू लिए अपनी सीट पर बैठा था। मैडम सीमा की आँखें भी भर आईं। वे उसको नोटबुक दिखाते हुए बोलीं, “आयुष तुम सच कह रहे थे कि तुमने अपनी कॉपी मानस को दी है, लेकिन मैम ने तुम्हारी बात नहीं सुनी, मैम बहुत गन्दी हैं न।“ यह कहते-कहते उन्‍होंने झुककर आयुष को गले लगा लिया।


कल फिर मिलूंगा...
एक नये अंक के साथ...
धन्यवाद।

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