निवेदन।


फ़ॉलोअर

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

जब… खामोशी भी बोलना छोड़ दें..... अंक सैंतालीस

जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।

सादर अभिवादन......

चलें आनन्द लेनें......



डाल से बंधा झूला तो
पूरी पाबंदी और विनम्रता
के साथ आज भी लटका है
अपनी जगह पर
जिस तरह सालों पहले
बांधा था आपने बाबा !


खुली  परतें
चेहरा बेनकाब
झूठ ही झूठ


झूला ,भुजरिया,' भेजा', और ' डढ़ैर'
इन चार शब्दों में कम से कम दो नाम अटपटे और आपके लिये अपरिचित होंगे शायद . लेकिन इनमें रक्षाबन्धन के साथ बचपन की उजली स्मृतियाँ उसी तरह पिरोई हुई हैं जैसे धागा में मोती .


मैं जानती हूँ जो  
खूबसूरती ढूंढती हैं  
तुम सब की नज़रें  
वो नहीं मिलती मुझमे..... 


और ये अंतिम सूत्र....


नहीं किया जिक्र तुमसे 
अपनी नासाज़ तबीयत का,.. 
नहीं की साझा तुमसे 
अपने मन की बातें,. 




अब विदा दें यशोदा को..
एक पुराना गीत सुनवाती हूँ











3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर लिंक्स का चयन किया है आज के लिये यशोदा जी ! कठपुतली फिल्म का यह सदाबहार गीत सुन कर आनंद आ गया ! आज मुझे भी सम्मिलित करने के लिये हृदय से आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर गीत और उतनी ही सुंदर हलचल ।

    जवाब देंहटाएं
  3. पहले तो इस बहुत खूबसूरत गीत के लिये और फिर मेरी रचना के चयन के लिये धन्यवाद यशोदा जी

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...